Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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प्रकृति

 

दूर हुआ प्रकृति से इंसान

अपने विनाष का करे इन्तज़ाम

भूल गया अपनी पहचान

प्रकृति का न रखे ध्यान

दिखाए मुझ में बड़़ा है ज्ञान

जंगलो का नित करे कटान

पहाड़ तोड़ बनाए मैदान

दूर हुआ कुदरत से इंसान

भूला अँागन बगिया सुआडू

घर में अपने कुत्ता पाले

दूध लेने जाए दुकान

ज्यादा अनाज की पैदावार हो

रसायनिक खादों के इन्तज़ाम

ज़हर बना दी फल सब्जियाँ

मुनाफे़ का बस इन्हे ध्यान

व्यापार को तो खूब फ़ैलाए

कहीं भी कारखाने लगवाए

न देखें पब्लिक का नुकसान

धुएं से परयावर्ण हो दूषित

नदियों में कचरा है डाले

धन धैालत का हुआ गुलाम

दूर हुआ कुदरत से इनसान

 

 

 

सुषमा देवी

 

 

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