विजयदशमी के पर्व पर, हमें इक प्रण उठाना है
हमें अपने मन से सभी ,विकारों को मिटाना हैं
दैत्य रूपी अंहकार,हवस,लालच,क्रोध, असंतोष को जलाना हैं
अपने देश से हमने, बुराईयों को मिटाना है
अपने मन में नये- नये, भावों को जगाना है
उठना है ऊपर ‘मैं‘ से, हम का भाव उगाना है
विजयदशमी के पर्व पर, हमें ....................................
समाज,प्रदेश देश को, उन्नति के पग पर ले जाना है
सीमा पर घात लगाए, दुश्मनों का गढ़ हमें ढ़ाना है
अपने वीर सैनिको के, हौंसलों को बढ़ाना है
आतंक के नाम को, देश से मिटाना है
विजयदशमी के पर्व पर, हमें ............................................
जन-जन में देश भक्ति का पाठ सिखाना हैं
रावण रूपी दैत्यों को भस्म कर जाना हेै
हर नारी को आत्मरक्ष़्ाक बनाना है
दुर्गा ,झांँसी के हौसलों को उनमें,
फिर से जागाना है
विजयदशमी के पर्व पर,हमें ......................................
रूकना ,थकना झुकना नहीं, बुराईयों अहंम को
झुकना है
भ्रष्टाचार,काला बाजारी,रिश्वत खोरी को
मिटाकर भारत को पूर्णतया स्वच्छ बनाना है
विजयदशमी के पर्व पर, .......................................
सुषमा देवी
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