जुट जाती है सुबह- सुबह
न करती है आराम
सहज सहज से
सब कुछ करती
छोटा- बड़ा घर का काम
सबकी पसन्द का उसे ध्यान
बच्चा बूढ़ा हो जवान
कौन सी चीज़ कहा रखी
उससे नहीं अनजान
आस- पड़ोस से
नहीं अपरिचित
सुख- दुख बाँटे रखे समास्य ज्ञान
रिष्तों को सहज निभाए
मेहमानों का रखे ध्यान
घर समाज देष की षान
बेटी से मिले
मँा बाप को मान सम्मान
सुषमा देवी
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