Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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प्यारी बेटी

 

जुट जाती है सुबह- सुबह

न करती है आराम

सहज सहज से

सब कुछ करती

छोटा- बड़ा घर का काम

सबकी पसन्द का उसे ध्यान

बच्चा बूढ़ा हो जवान

कौन सी चीज़ कहा रखी

उससे नहीं अनजान

आस- पड़ोस से

नहीं अपरिचित

सुख- दुख बाँटे रखे समास्य ज्ञान

रिष्तों को सहज निभाए

मेहमानों का रखे ध्यान

घर समाज देष की षान

बेटी से मिले

मँा बाप को मान सम्मान


सुषमा देवी

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