बडे ही पवित्र,अनमोल होते हैं रिश्ते
घर परिवार का श्रृंगार होते हैं
समाज देश का आधार होते हैं
रिश्ते एक हद इक बन्धन हैं
रिश्ता है इक ऐसा सूत्रधार
रिश्तों से पनपता है सारा संसार
रिश्तों के चक्रव्यू से चलता है संसार
इन रिश्तों के धागों से जुड़ते है परिवार
रिश्तों को संज़ोए रखते मोह प्यार के धागे
रिश्तों से न छूटे मानुष्य
कितना भी दूर भागे
रिश्तों के ताने- वाने से जागे
धैर्य ,त्याग,स्वाभिमान
ऐसे निभालो रिश्ते बिखरे न इनका मान
रुपये पैसे मानव न, रिश्तों को तोल
रिश्तों की हैं अपनी सीमाएं, और अपनापन
रिश्तों को न जाँचो परखो
आज से मना लो मन
रिश्तों की अहमियत को समझो
इनकी हद कभी न लाघों
माँ, बहन ,बेटी की इज्जत पे लगे कभी न दाग
मनुष्य निवाए मानवता,तो न हो रिश्ते वदनाम
सुषमा देवी
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