रोक सका न बांध सका
न इसकी गति को भांप सका
पकड़ सका न थाम सका
समय का चक्र चलता गया
कोई न इसको पहचान सका
कई जीत गए कई हार गए
कुछ ढूबते ढूबते जग तैर गए
सह न सके कुछ सहम गए
पर समय का चक्र चलता गया
जो समय श्रम के साथ झूल गया
वो प्राणी सफलता को चूम गाया
समय से बड़ा कोई गुरू नहीं
यह सब को कुछ न कुछ सिखा गया
सूर्य का निकलना छूटा नहीं
समय का चलना रूका नहीं
सुशमा देवी
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