औलाद की ख्बाहिस के खातिर माँ बाप
जाते मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे
औलाद को पाकर खुष हो जाते
इस दुनियाँ में माँ बाप सारे
खूब पढेगें आॅफिसर बनेंगे बच्चे हमारे
इन्हें पालते पोसते पढ़ाते बूढे़ हो जाते बेचारे
बड़े होके बच्चे उनको आँखें दिखाते
आपने हमारे लिए किया ही क्या है ?
ये एहसास दिलाते
माँ बाप की हसरत होती है
बच्चे हमारे सपने पूरे करेंगे
माँ बाप अपने सपनों को भुलाकर
बच्चों के सपने हैं पूरे करते
अब कामयाब बच्चों के पास
माँ बाप के लिए समय नहीं होता
खर्चा बहुत है समय नहीं है यही रोना होता
म्ुाँह फुलाए बहू कतरातीें जब घर आती
तो बेटा बोले यह दफ्तर के काम से है, थक जाती
माँ बाप बुढापे में प्यार ,लगाव की आस लगाते
बहू बेटा अपने बच्चों संग ,अलग कमरे में पीते खाते
सुनो रे दुनिया वालो
कभी भी माँ बाप को सताना नही चाहिए
रुलाना नही चाहिए
जितना बन पड़े उन के आदर, प्यार ,सत्कार में
बहू बेटे को जी जान लगाना चाहिए
जिनके माँ बाप स्वर्ग चले जाते
वे पुनः लौट कर नहीं आते
सुषमा देवी
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