Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आजादी के क्या माने वहां......?

 

साया हट गया है, फिर नया बरगद तलाशिये

अब मेरी जमीन, सरकती यहाँ, सरहद तलाशिये

 


कडुवे घूट, पीने का माहिर , सुकरात चल दिया

आदम पी रहा है, खून इधर, शहद तलाशिये

 


है कारीगरी का महज ये नमूना सा जान लो

ये मन्दिर ढके या मस्जिद ढके गुम्बद तलाशिये

 


उनके पाँव, न उठाये, उठेंगे अब जमीन से

कलयुग में , सियासी अमन के, अंगद तलाशिये

 


लिए परचम जिहादी घूमता चारों तरफ यहाँ

आजादी के क्या माने वहां , मकसद तलाशिये

 

 



सुशील यादव

 

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