साया हट गया है, फिर नया बरगद तलाशिये
अब मेरी जमीन, सरकती यहाँ, सरहद तलाशिये
कडुवे घूट, पीने का माहिर , सुकरात चल दिया
आदम पी रहा है, खून इधर, शहद तलाशिये
है कारीगरी का महज ये नमूना सा जान लो
ये मन्दिर ढके या मस्जिद ढके गुम्बद तलाशिये
उनके पाँव, न उठाये, उठेंगे अब जमीन से
कलयुग में , सियासी अमन के, अंगद तलाशिये
लिए परचम जिहादी घूमता चारों तरफ यहाँ
आजादी के क्या माने वहां , मकसद तलाशिये
सुशील यादव
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