Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बस ख्याले बुनता रहूँ.....

 

अँधेरे में दुआ करू ,ऐ खुदा परछाई दे
बेख्याली में निकले ,जो नाम सुनाई दे

 

करवट न बदलू,कोई ख़्वाब न देखूं
नीद से उठते तेरी ,याद जुम्हाई दे

 

कसमो का कसीदा हो,कहीं वादों का हो ताना
ख्याले बुनता रहूँ ,बस यूँ तन्हाई दे

 

उजड़े गुलशन में ,सब्ज-शजर देखूं
हो तब्दील किस्मत,जन्नत खुदाई दे

 

रिश्तों की अदालत ,बेजान हलफनामे
या मुझे ज़िंदा रख ,या मेरी रिहाई दे

 

 

 

सुशील यादव

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