Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जो मेरा पता जानते ..

 

....सुशील यादव

 


खून के घूट पीते !नहीं जहर का, जायका जानते
भटकते क्यूँ भला शहर में, जो मेरा पता जानते


लोग हाथो उठाए फिरते हैं, मुझे रात दिन जान लो
न 'फतवे' को दिल उतारते, महज वे मशवरा जानते


फूल की महक होती, बगीचे खुशगवार होते यहाँ
कीट-पतंग के बन रहनुमा , तितलियां पालना जानते

 

कौन ये रात दिन फूकता है, बिगुल आशनाई का अभी
चोट जो खाए होते इधर ,तो सही रास्ता जानते


ता-कयामत तेरा इंतिजार, हम को भी वजन सा लगे
हम 'सुशील' हर वो 'पाप' धोते, चुनाचे खता जानते

 

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