Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सफर में

 

तुम बाग़ लगाओ ,तितलियाँ आएँगी
उजड़े गाँव नई, बस्तियां आएँगी


जिन चेहरों सूखा, आँख में सन्नाटा
बादल बरसेंगे ,बिजलियाँ आएँगी

 

दो चार कदम जो, चल भी नहीं पाते
हिम्मत की नई,बैसाखियाँ आएँगी

 

उम्मीद की बंसी, बस डाले रखना
किस्मत की सब , मछलियाँ आएँगी

 

सफर में अकेले ,हो तो मालुम रहे
तेरे सामने भी ,दुश्वारियां आएँगी

 

नाकामी अंदाज में,कुछ नये छुपाओ
अखबार छप के ,सुर्खियाँ आएँगी

 

 

सुशील यादव

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