उधर उनके विभाग ने शिष्टाचार सप्ताह मनाने का एलान किया इधर , आम-जन ने आम खाने की बजाय, गुठलियों की तरफ ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया| मतलब,उन्होंने महसूस किया कि अब आप गुठलियाँ मनमर्जी से, कभी भी, कहीं भी, नहीं फेक सकते |
आपको, हर खाए आमो का, ख़ास गुठलियों की शकल में हिसाब देना होगा |
नत्थू, छोटे दिल वाला इंसान है ,जल्दी सकते में आ जाता है |वो पसीने से तरबतर आया ,लगभग हांफते हुए बोला ,गुरुजी सुन रहे हैं ,ई लोग शिष्टाचार मनाने वाले हैं .....कोई गजब तो नहीं करंगे .....?आलू प्याज तो मिलता रहेगा न मार्केट में.......?
मैं नत्थू को कंसोल करने का हर नुस्खा जानता हूँ |उसे मुझसे छोटेमोटे प्रवचन सुनने की उम्मीद, उसके ब्रेकिंग न्यूज पर , मेरे बा-खबर होने के, तुरंत बाद रहती है ....|मै बिना किसी भूमिका के नत्थू को बैठने के लिए कहता हूँ .....|कहां से सुने ये खबर .....?
ये ल्लो ....|गुरुजी,आप भी क्या बनते हैं ,टी वी वाले कूद-कूद के ब्रेकिंग न्यूज में दिखा रहे हैं |सादे वेश में खाकी मुहकमा घूम रहा है |आपने जरा सी गलती की नहीं कि आप दबोच लिए जायेंगे .....|
मैंने कहा ...तो इसमें गलती क्या है ....गलत काम करने वाले ही दबोचे जायेंगे न...?वे तो बिना शिष्टाचार के भी दबोचे जा सकते हैं ...... तुम कोई गलत काम तो करने नहीं जा रहे..... सो डर काहे का ....बताओ ....?
नहीं गुरूजी ,अपुन इंसान जो ठहरे ,जाने-अनजाने ,गैर-इरादतन, आगे-पीछे कुछ हो गया,तो……? हमें पता है.... वे सूतते बहुत हैं|गुरुजी हम मार खाने से डरते नहीं, मगर उनके लेग्वेज बहुत ज्यादा नानवेज लिए होते हैं ,आप तो जानते हैं ,हम शाकाहारी जीव हैं, निरामिष तो बर्दाश्त के बाहर की चीज है हमारे लिए .....
नत्थू तुम्हे ‘शिष्टाचार’ का मीनिग नही मालुम .....?
वे अच्छे आचरण व्यवहार का इस हप्ते पालन करेगे,तुम जैसे लोगो के बीच जो उनकी धूमिल छवि है,उसे साफ करने का प्रयास करेंगे |
वे इस हप्ते , थाने में बड़े प्यार दुलार से पेश आयेंगे |आपके पहुचते ही कुर्सी पेश करेगे,प्यार से पूछेंगे कहिये जनाब क्या काम है...... जो आप थाना पधारे ....?
आपको बता देते हैं ,,,गाय भैस गुमने, चोरी होने की खबर, सुन भर लेते हैं,रपट लिखने में फजीहत होती है|थाने का नाम खराब होता है लोग कहते हैं ...थाना है या गौशाला ....?ऊपर से साहब लोग डाटते हैं ,थाना बंद करवाना है क्या ....आये दिन भैस ,कुत्ता मवेशी चोरी ....दूसरे काण्ड पर ध्ययन दो .....? इस तरह के रिपोर्ट या ,एफ आई आर हम केवल व्ही व्ही आई पियों का ही दर्ज करते हैं जनाब .....|
इस थाने में तब आये, जब किसी ने फर्जी डिग्री से नौकरी या मंत्री पद हथिया लिया हो......?इस पर भी बता दें , हमारी ‘तहकीकात’ उपर वाले की आज्ञा बिना शुरू नही की जाती है |
आपके इलाके में आतंकवादी या नक्सली घूम रहा हो, तो इसकी सूचना पन्द्रह दिनों पहिले दिया जावे|हमे सहूलियत रहती है |हमें अच्छे हथियारों,गोला बारूदों का स्टाक बड़े थाने से मंगवाना पड़ता है मौजूदा स्टाक से, हम खाप-पंचायत की टुच्ची हरकतों भर को सम्हाल सकते हैं |
ये भी आपको ताकीद कर देवे, जमीन जायजाद ,घरेलू हिंसा ,पति-पत्नी विवाद,सास बहू कलह,जादू- टोना- मंतर आदि की शिकायत हम चौबीसों घंटे दर्ज कर लेते हैं |कारण कि इसमें ख़ास मसक्कत वाली बात नहीं रहती...... ,चुटकियों में मामला-मसला, हल कर देते हैं|उलटे ऐसे प्रसंगों में लोग, हमी को बतौर नजराना कुछ न कुछ दे जाते हैं|कारण ये कि, उनमे एक पार्टी की जीत सुनिश्चित रहती है |कभी कभी तो एक ही दिन में इतनी मिठाइयाँ आ जाती है कि उलटे हमें हलवाई को कम रेट में वापस टिकाना पड जाता है |
तो गुरुजी ,ये शिष्टाचार ढकोसला होता है ....?
नत्थो ,सीधे सीधे मेरा मुह मत खुलवाओ ....?ये लोग मुझे ही नाप देगे ....|बहरहाल जान लो कोई कोई निर्णय राजनीति की चाशनी में डुबाकर भी बाहर लाये जाते हैं ....|
कहीं छवि सुधारने की बात होती है ,कई बार , जनता की रूचि-रुझान को दूसरी दिशा में मोड़ने का प्रयास होता है,उपर के आदेश पर प्रायोजित कार्यक्रम पेश होते रहता है ,ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है |
इसमें किसका वजन भारी है, मै नही कह सकता |
नत्थू ,मेरी सलाह है तुम ,अखबार या न्यूज को, सिर्फ पढ़-सुन लिया करो ....|
आजकल के पोलिटिकल माहौल में , ‘मुद्दे’ पर , टी वी में दिखाए जाने वाले चिकचिक को गौर करके निर्णय पर आओगे तो तुम्हारा समय खराब होगा ...|
दिमाग के खराब होने की शुरुआत भी यहीं से हो सकती है ....|
आने वाले दिनों में अपने कानों में, वही जाने दें..... जो रुचिकर हो |
आँखों को वही दिखाए जिससे सुकून मिले ,जो परलोक सुधारे ....|
मुह से वही कहलवाएं-कहें ,जो शिष्टाचार के अधीन हो ,,,,,|
मेरी नीद खुली तो नत्थू अंतर्ध्यान हो गया था ....|
सुशील यादव
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