Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दरिया सा बहता रहता है

 

• दरिया सा बहता रहता है
• वो अपनी धुन का पक्का है

• सूख चुका है, तुम समझे हो
• वो बादल भीतर बरसा है

• उसकी आँखों में छिपकर वो
• झपकी सपना नींद हुआ है

• दिल के अँधेरे का बाईस
• पिछली सर्दी का कोहरा है

• इक पत्थर परछाईं बन कर
• आईनों के घर आया है

• अहसासों का खींचों नक्शा
• फिर देखो किस सा लगता है

• थामों साँसों की उँगली को
• जिस्मों में लंबा रस्ता है

• फूलों से जो आँच बटोरे
• ‘आतिश’ इक ऐसा भंवरा है

 

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