Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बहुत मज़बूत होगा वो

 

बहुत मज़बूत होगा वो, ख़ुदारा जिसको मिल जाए।
उसे क्या दर्द होगा, दर्द सारा जिसको मिल जाए।

 

किसी तूफ़ाँ से डर कैसा, जहाँ तूफ़ाँ में गुजरी है,
डरे वो ही, नसीबों से किनारा जिसको मिल जाए।

 

मरे कितने, हुए कितने यहाँ घायल बताएँ क्या,
वही जीता, सनम तेरा इशारा जिसको मिल जाए।

 

अगर पाना है मंजिल तो बनो ख़ुद रहनुमा अपने,
भटक जाता है वो अक्सर, सहारा जिसको मिल जाए।

 

कहीं पर 'सिद्ध' कोई हो तो बतलाओ पता उसका,
यहाँ गुजरा कोई लम्हा दुबारा जिसको मिल जाए।

 

 

 

ठाकुर दास 'सिद्ध'

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