Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

दीपक राग

 

ठाकुर दास 'सिद्ध'

 

 

 

तम का घेरा,
घना अँधेरा,
चारों ओर।

 

तम हरने को,
चलो लगाओ,
मिलकर जोर।।

 

धवल हंस के,
सर पर बैठे,
काले काग।

 

साथी आओ,
मिलकर गाओ,
दीपक राग।।

 

खेत जोत के,
चलो रोप दें,
सूरज-बीज।

 

फल किरणों के,
लाकर रख दें,
हम दहलीज।।

 

थाम मशालें,
बढ़ते जाएँ,
तम को चीर।

 

कदम बढ़ाते,
चलें चलाते,
तम पर तीर।।

 

कुटिल इरादे,
तम के कर दें,
चकनाचूर।

 

दसों दिशाओं,
उजियारा हो,
फिर भरपूर।।

 

'सिद्ध' पुकारे,
साथी आ रे,
हो कर एक।

 

दें अँधियारे,
अपने आगे,
घुटने टेक।।

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ