Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जहाँ-जहाँ मानवता होगी

 

खल करता जलपान मिलेगा।
बंगला आलीशान मिलेगा ।।

 

प्रीत करो तो उठे बवेला ।
नफ़रत कर सम्मान मिलेगा।।

 

माथे पर चंदन मल ले रे ।
उठा कटोरा दान मिलेगा।।

 

मेहनतकश दुत्कारा जाता।
मालिक भौंहें तान मिलेगा।।

 

नहीं मिलेगा जो मंदिर में ।
खेत और खलिहान मिलेगा।।

 

नहीं समय रहते चेता तो ।
गली-गली शैतान मिलेगा।।

 

क्या सूरज क्या चाँद-सितारे।
मन में जो ले ठान मिलेगा।।

 

असली भोर तभी होगी जब।
रम्मू से रमजान मिलेगा ।।

 

जहाँ-जहाँ मानवता होगी ।
वहाँ 'सिद्ध' का गान मिलेगा।।

 

 

ठाकुर दास 'सिद्ध'

 

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