खल करता जलपान मिलेगा।
बंगला आलीशान मिलेगा ।।
प्रीत करो तो उठे बवेला ।
नफ़रत कर सम्मान मिलेगा।।
माथे पर चंदन मल ले रे ।
उठा कटोरा दान मिलेगा।।
मेहनतकश दुत्कारा जाता।
मालिक भौंहें तान मिलेगा।।
नहीं मिलेगा जो मंदिर में ।
खेत और खलिहान मिलेगा।।
नहीं समय रहते चेता तो ।
गली-गली शैतान मिलेगा।।
क्या सूरज क्या चाँद-सितारे।
मन में जो ले ठान मिलेगा।।
असली भोर तभी होगी जब।
रम्मू से रमजान मिलेगा ।।
जहाँ-जहाँ मानवता होगी ।
वहाँ 'सिद्ध' का गान मिलेगा।।
ठाकुर दास 'सिद्ध'
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