Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जुदा तुम को कभी ख़ुद से नहीं जाना

 

जुदा तुम को कभी ख़ुद से नहीं जाना।
मगर इस बात को तुम ने नहीं जाना।।

 

यहाँ हम आज बेउम्मीद बैठे थे।
अगर अब आ गए अब के नहीं जाना।।

 

अभी हसरत पतंगे सी उठी दिल में।
कहे तू आग है आगे नहीं जाना।।

 

अरे हम जान अपनी दे रहे थे बस।
सनम किस बात पर रूठे नहीं जाना।।

 

सुना लीं आप ने मजबूरियाँ अपनी।
मगर कुछ 'सिद्ध' की सुनते नहीं जाना।।

 

 

ठाकुर दास 'सिद्ध'

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