ख़्वाब अब मिल जाएगा अपनी नज़र के साथ यारा।
मिल गया दिल को सुकूँ उन की ख़बर के साथ यारा।।
वक़्त ने ऐसा किया कुछ दूर दो दिल जा गिरे हैं।
लग रहा था उन से होंगे उम्र भर के साथ यारा।।
वक़्त की फ़ितरत यही है एक सा रहता नहीं है।
कुछ नए साथी मिलेंगे हर सफ़र के साथ यारा।।
बाढ़ में बह तो गया घर इस बरस बरसात में पर।
बह न पाई याद घर की अपने घर के साथ यारा।।
हो विपुल धन जिस जगह वो उस जगह मौज़ूद होगा।
लूटने को लूटने के हर हुनर के साथ यारा।।
बात कुछ कहती हुई सी लग रही उस की नज़र है।
देखती मेरे लिए कुछ इस असर के साथ यारा।।
शौक ये कैसा न जाने उन के दिल में आज जागा।
चाहते हैं खेलना जख़्मे-जिगर के साथ यारा।।
बेख़ुदी सारे शहर पर 'सिद्ध' कैसी छा गई है।
लोग हैं तैयार बहने किस लहर के साथ यारा।।
ठाकुर दास 'सिद्ध'
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