कितना इन्तज़ार कर लिया।
कैसा तू ने यार कर लिया।।
ख़ार से था दूर जो रखा।
गुल से तार-तार कर लिया।।
आगे और राह थी मगर।
यार ख़ाकसार कर लिया।।
एक रोज़ ख़्वाब में अरे।
ख़ुद को द़ागदार कर लिया।।
यार था क़रार था बहुत।
जाते बेक़रार कर लिया।।
हाथ तीर यार का लिया।
'सिद्ध' आर-पार कर लिया।।
ठाकुर दास 'सिद्ध'
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY