जज़्बा-ए-इश्क़ ना मंदा रहेगा यूँ।
हर वक़्त फ़क़त आपका बंदा रहेगा यूँ।।
मोहब्बत जो उसने की तो फ़ासले से की।
कहता जुनूने-जुस्तजू ज़िन्दा रहेगा यूँ।।
हाथ में उसके रहेगी ज़िन्दगी की डोर।
अपने गले में मौत का फंदा रहेगा यूँ।।
चाहत की नज़र से तुझे देखा न जाएगा।
गर तू उसके सामने गंदा रहेगा यूँ।।
क्यों न उसकी दीद से,दिल की ईद हो।
'सिद्ध' उसका चेहरा,चंदा रहेगा यूँ।।
ठाकुर दास 'सिद्ध',
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