Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मोहब्बत जो उसने की

 

जज़्बा-ए-इश्क़ ना मंदा रहेगा यूँ।
हर वक़्त फ़क़त आपका बंदा रहेगा यूँ।।

 

मोहब्बत जो उसने की तो फ़ासले से की।
कहता जुनूने-जुस्तजू ज़िन्दा रहेगा यूँ।।

 

हाथ में उसके रहेगी ज़िन्दगी की डोर।
अपने गले में मौत का फंदा रहेगा यूँ।।

 

चाहत की नज़र से तुझे देखा न जाएगा।
गर तू उसके सामने गंदा रहेगा यूँ।।

 

क्यों न उसकी दीद से,दिल की ईद हो।
'सिद्ध' उसका चेहरा,चंदा रहेगा यूँ।।

 

 

 

ठाकुर दास 'सिद्ध',

 

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