नफ़रतें नहीं होतीं, फ़ासला नहीं होता।
तो शिकायतों का ये सिलसिला नहीं होता।।
आपकी निगाहों के तीर गर नहीं चलते।
दरमियाँ हमारे ये हादसा नहीं होता।।
जान अब बचेगी तो आपकी दुआओं से।
आजकल दवाओं से फ़ायदा नहीं होता।।
आप जो नहीं आते इस तरफ़ टहलने को।
कोई भी चमन का फिर गुल खिला नहीं होता।।
दीद की तमन्ना पर वक़्त का सितम कहिए।
राह है वही लेकिन सामना नहीं होता।।
क्या सितम से कम है तुम नेकियाँ गिनाते हो।
'सिद्ध' ये मुहब्बत का क़ायदा नहीं होता।।
ठाकुर दास 'सिद्ध'
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