किसी को रोटी चाहिए,
किसी को स्वाद।
किसी को टूटी चप्पल की चिन्ता,
किसी को चमकती कार की।
किसी को चाहिए पानी,
किसी को कीमत शराब।
किसी को चाहिए
सर छुपाने झोपड़ी,
किसी को
शान दिखाने महल चाहिए।
समस्या यहाँ भी है,
वहाँ भी।
जो मेरी समस्याएँ हैं,
वे तुम्हारी नहीं।
जो तुम्हारी समस्याएँ हैं,
वे मेरी नहीं।
जब अलग-अलग हैं
हमारी समस्याएँ,
हम एक कैसे हो सकते हैं?
हमारे एक होने के रास्ते में
सबसे बड़ी समस्या तो यही है
कि अलग-अलग हैं
हमारी समस्याएँ।
ठाकुर दास 'सिद्ध',
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