Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

तेरी ज़िन्दगी

 

वेदना का गान तेरी ज़िन्दगी।
है फटा परिधान तेरी ज़िन्दगी।।

 

जन्म लेते हो गया क्रंदन शुरू।
वाह रे इन्सान तेरी ज़िन्दगी।।

 

बेतहासा भागती है रात-दिन।
देख कर तूफ़ान तेरी ज़िन्दगी।।

 

तू जहाँ है, उस जगह मौज़ूद है।
मौत का सामान, तेरी ज़िन्दगी।

 

बेज़ुबाँ बेजान सा तू हो गया।
खो चुकी पहचान तेरी ज़िन्दगी।।

 

तू नहीं गर ख़ास है तो 'सिद्ध' फिर।
बेसबब नादान तेरी ज़िन्दगी।।

 

ठाकुर दास 'सिद्ध'

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ