ज़िन्दगी दर-दर भटकती, खोजती मुस्कान को।
कर दिया है मतलबी, इस वक़्त ने इन्सान को।।
कहूँ गर तो मेरे दिल की कहानी सिर्फ़ इतनी है,
मेरे दिल में तुम्हारी याद के साए टहलते हैं।लिबासों को तिरे देखूँ , कि देखूँ मुल्क की सूरत,
यहाँ सैलाब अश्कों का, तिरी हरकत से आया है।
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY