"हकीक़त के वाक़िफ है सभी यहाँ पर...
डर तो इस बात पर कि...
कुछ अनजाने में छुपाते है...
कुछ हकीक़त को ही निगल जाते हैँ...
तनिक भी डर नहीँ है...
डरे भी तो क्यूँ...
सहमी सी बेवकूफ दुनिया को...
वेवकूफ बनाने मेँ इन्हे हर्ज कैसा!!"
-ठाकुर दीपक सिंह कवि
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