"देख तमाशा गजब मचा है...
लूट रहें जैसे बन्दर हो...
घर पर कुछ और बकबकाते...
मूक देवता ये बन जाते...
जब संसद के अंदर हो...
कहती जनता वोट ना देंगे अब...
हे जनमहाराज तुम ये करोगे कब!?"
-ठाकुर दीपक सिंह कवि
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"देख तमाशा गजब मचा है...
लूट रहें जैसे बन्दर हो...
घर पर कुछ और बकबकाते...
मूक देवता ये बन जाते...
जब संसद के अंदर हो...
कहती जनता वोट ना देंगे अब...
हे जनमहाराज तुम ये करोगे कब!?"
-ठाकुर दीपक सिंह कवि
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