Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

एक और सरकारी दफ़तर खुलवा दो

 

"एक और सरकारी दफ़तर खुलवा दो सरकार...
घिस गये है चप्पल-जूते अब मैं...
नया कहा से लाऊँगा?...
गरीबी भत्ता लेने आया था..
अब कैसे फिर महीनों पेट जलाऊँगा?
एक और सरकारी दफ़तर खुलवा दो साहब"

 


-ठाकुर दीपक सिंह कवि

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ