"जो भारत माँ की अस्मत पर...
तनिक भी आँख उठायेगा...
हम भारत के फौजी...
कसम खाते है कि...
उसका नमोनिशाँ नहीं बच पायेगा...
जंग लङी है हमने हौसलों से...
तोप तलवारों तो केवल पानी है...
जब भी लङा कोई अपनी धरती से...
खून से लिखी हमनें कहानी है...
मर जाये कट जाये
परवाह नहीं है...
हो शर्त अगर सर कलम कराने की...
तो भरी हमने आह नहीं है...
हम भारत के फौजी...
अपनी मिट्टी पे सर झुकाते है...
पर दुश्मन की छाती पर...
चढ कर तिरंगा लहरातें है...
हो लू के थपोङे या फिर...
शीतलहरी की छाया...
हम तनिक भी नहीं डगमगाते है...
दुश्मन की छाती पर चढ कर...
हम तो तिरंगा लहरातें है...
सब रिश्ते नाते परे रहें...
हम तो अपनी धरती का कर्ज चुकाते है...
दुश्मन की छाती पर चढकर....
हम तो तिरंगा लहरातें है...."
आप सभी देश के जवानों को मेरा शत् शत् नमन
-ठाकुर दीपक सिंह कवि
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