Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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इसी पागलपन को ही प्यार कहते है

 

"सबने सोचा कि...
अभी तक खफ़ा है वो हमसे...
पर सबकी बातों से ज्यादा मुझे...
उनके लौट आने के वादे पर भरोसा है....
सब भरोसे की वजह पूछते है!
अरे पागल!
इसी पागलपन को ही प्यार कहते है...

 

एक तनहाई की दस्तक
जब मेरे ख्वाबों पर आ जाती हैं
उसी वक्त तनहापन में
तू अपना सा बनकर छा जाती हैं"

 


-ठाकुर दीपक सिंह कवि

 

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