"जीत का जूनून...
अब बसा लो इस कदर...
कि आँसुओं की बारिश में भी...
तुझे मंजिल नजर आये...
तू आगे बढ इस कदर ए दीपक....
तूझे जकङे हुए...
धर्म,समाज,रिश्ते-नातों की
जंजीरे भी पिघल जाये"
-ठाकुर दीपक सिंह कवि
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"जीत का जूनून...
अब बसा लो इस कदर...
कि आँसुओं की बारिश में भी...
तुझे मंजिल नजर आये...
तू आगे बढ इस कदर ए दीपक....
तूझे जकङे हुए...
धर्म,समाज,रिश्ते-नातों की
जंजीरे भी पिघल जाये"
-ठाकुर दीपक सिंह कवि
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