Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जीत का जूनून

 

"जीत का जूनून...
अब बसा लो इस कदर...
कि आँसुओं की बारिश में भी...
तुझे मंजिल नजर आये...
तू आगे बढ इस कदर ए दीपक....
तूझे जकङे हुए...
धर्म,समाज,रिश्ते-नातों की
जंजीरे भी पिघल जाये"

 


-ठाकुर दीपक सिंह कवि

 

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