"मन्दिर में बसाया भगवान को हमनें...
अल्लाह को बसाया पश्चिम में...
अरे रोम-रोम में बसा है वो तो...
मर कर क्यों ले जाते दक्छिन में...
मिट्टी में मिलनी सबकी काया हैं...
कर्म ढूढ ले खुद के मन्दिर-मस्जिद में..."
-ठाकुर दीपक सिंह कवि
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