"प्यासी सी मेरी ख्वाहिशे
हालात से लङते मेरे जज़बात
दम तोङ देते है कभी कभार
पर फिर से लङता हूँ मैं
हर बार हर तरह से...
क्यूँकि मुझे पता है
लङने वाले ही योद्दा होते है...
मैं लङूँगा
खुद के ख्यालों से..."
-ठाकुर दीपक सिंह कवि
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