सारी सुध-बुध को खोके...
बाँहों में तुझको लेके...
चुम लूँगा तेरे होठो को...
प्यार की निशानी देके...
तेरे ही इशारों पे मैं...
प्यार को बढाता हूँ...
तू जो दिल से कहे तो...
पीछे हट जाता हूँ मै...
हर जगह हक है मेरा...
तू तो निशानी है...
मै तो बस साया हूँ...
तू मेरी कहानी है...
-ठाकुर दीपक सिंह कवि
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