सभी रचनाकारों से अनुरोध है
कि जरूर पढें....
एक महाशय ने मेरा मज़ाक उङाने
की नियत से कहा-"यार सब डॉक्टर
बनते है,इंजीनियर बनते है और तू एक
कवि और लेखक बन रहा है...तूझे
तो रोटी भी नसीब होगी..."
मैने कहा-"मुझे खुशी है कि मै तुम्हारे
जैसे लोगों की भीङ
का हिस्सा नहीं बन रहा बल्कि एक
रास्ता बन रहा हूँ जिसपर एक दिन तुम
खुद चलकर आओगे..."
-ठाकुर दीपक सिंह कवि
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