Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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उनके लबों पे मेरा नाम आया हैं..

 

"चल दिये है आज फिर से...
उन्ही काँटों भरी राहों में...
फर्क बस इतना है...
तुम खुशियाँ मना रही हों...
और हम दर्द से तङप रहें हैं..."

 

 

लो आज फिर से एक झूठा पैगाम आया है...
कि उनके लबों पे मेरा नाम आया हैं...
कहते है सब की हमें अपना लिया है उन्होनें...
ना चाहकर भी उनसे मिलने का ख्याल आया है..."

 

 


-ठाकुर दीपक सिंह कवि

 

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