Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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चाँद की दुर्गति

 

सुबह उठकर
जब खिड़की से देखा
सड़क पर खड़ा था
चाँद का एक टुकड़ा
रवि की किरणों में
दमक रहा था
उसका मुखण्ड़ा।

यकायक लगा
इस धरा पर
है किसका भाग जगा
देखने करीब से
उस चाँद के टुकड़े को
दूसरी मंज़िल से
सड़क की ओर
मैं भगा।

देखकर करीब से
सड़क का दृश्य
दिल दहल गया
बेदर्दी ने, गाड़ी से
चाँद के उस टुकड़े को
कुचल दिया।

दहेज की आग में
परमेश्वर स्वरूप पति
कर गया चाँद के टुकड़े की
ये दुर्गति।

Thakur S. K. Raunija

 

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