Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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विडंबना

 

विडंबना
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राहतें हैं राह में,
राह में मजदूर हैं।
कुछ पड़े हैं राह में,
कुछ नशे में चूर हैं।।
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- ठाकुर दास 'सिद्ध'
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