Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ऐसा होगा मेरा कल

 

ऐस होगा मेरा कल
करेगा न कोइ मुझसे छल
आगे बडूंगी पल प्रतिपल,
ऐसा होगा मेरा कल

मुझसे होगी शान मां की,
रहूंगी मैं गौरव पिता की,
मैं भी कुलदीपक बनूंगी,
न होगा नैनों में जल
ऐसा होगा मेरा कल

मैं नहीं कमज़ोर रहूगीं,
हर शेत्र में आगे बडूगीं
भेदभाव सब दूर करूंगी,
इतना होगा मुझमें बल
ऐसा होगा मेरा कल

किरण, कल्पना, टेरेसा बनकर
प्रगती के पथ पर आगे चलकर
परंपराओं से आगे बडकर
देश को सुंदर स्वर्ग बनाउगीं
सारी बुराइयों को मिटाउगीं
मत समझो मुझको निर्बल
ऐसा होगा मेरा कल

 

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