जिस देश का झुठा हो ईंसान उस देश की कहानी क्या होगी
बहा करती थी नदीयां दुध की अब पिने को पानी नही
बिन पानी तरसते लोग उस देश की रवानी क्या होगी
धान के कटोरे में अन्न का दाना नही श्ुख से तडपते लोग
जिस देश का श्ुखा हो बचपन उस देश की जवानी क्या होगी
मारी जाती है बेटीयां इस देश में जन्म लेने से पहले ही
जहां पल पल होती हत्याएं उस देश की जिंदगानी क्या होगी
कलाबाजारी जमाखोरी ने ली है सच और इमानदारी की जगह
जिस देश की बेइमानी हो बुनीयाद उस देश की स्वाभीमानी क्या होगी
नेकी सदाचार को छोड कर अन्याय दुराचार होता है
जहां अपमान होता है संतो का उस देश की कहानी क्या होगी
क्या होगा उस देष का और उस देश की कहानी क्या होगी
तृप्ति टैंक
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