Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

समेटना खुशियों को

 

जो बिखर गया जीवन मे उसे समेटना जरुरी है
जब खुषियां दे दस्तक जीवन मे दरवाजे खोलना जरुरी है
जब पास रह जाए जीवन मे हमारे केवल खामोषी
तब किसी से दो बोल बोलना मजबुरी है
जो बिखर गया जीवन मे उसे समेटना जरुरी है
जिंदगी मे जब हम जीवन के दो राहे पे आ के रुक जाते है
समझ नही पाते कौन खुशी कौन गम दे जाते है
ऐसे वक्त मे जो मिट गया उसे उकेरना जरुरी है
जो बिखर गया जीवन मे उसे समेटना जरुरी है
करते है जब आस किसी से अक्सर वे बिखर जाते है
विष्वास के साथ कभी रिष्ते भी टूट जाते है
जो टूट गए उन रिष्तो को कभी जोडना भी जरुरी है
जो बिखर गया जीवन मे उसे समेटना भी जरुरी है
कुछ लोग जीवन मे रिश्तों को निभा नही पाते है
जब मौत आती है जीवन के करिब तब पछताते है
जिंदगी मे कुछ अरमानो का पुरा होना भी जरुरी है
जो बिखर गया जीवन मे उसे समेटना भी जरुरी है
जोडते जोडते रिष्तो को इतना न जुड जाना उनसे
कि फस जाओ यहां की माया मे निकल न पाओ भव से
रिश्तों को निभाते हुए भी मुक्त होना जरुरी है
जो बिखर गया जीवन मे उसे समेटना भी जरुरी है
समेट लो जीवन मे जितना समेट सको खुषियों को
आंसुओ को निकाल दो जीवन से भूला दो सारे गम को
जब खुशियां दे दस्तक जीवन मे दरवाजे खोलना भी जरुरी है
जो बिखर गया जीवन मे उसे समेटना भी जरुरी है

 

 

 

तृप्ति टैंक

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ