Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शाम जिंदगी की

 

जिदंगी में रह जाए अगर कोइ अरमान अधूरे

हो ना पाए अगर कोइ ख्वाब पूरे

चलते चलते शाम हो जाए जब जिंदगी की

याद करना उन मिठे पलों को तिंदगी की

हो जाएगा आसान दुनियां को अलविदा कहना

खुश रहना वतन वालो जाते जाते इतना कहना

चलते चलते षाम हो जाए जब जिंदगी की

पास ना हो कोइ तुम्हारे तो करना बस इतना प्यारे

जब तक जिये जिते ही रहे

कभी खु्शियों के संग कभी आंसुओं को पिते रहे

कभी भीड मे कभी तन्हा जिते रहे

चलते चलते जब शाम हो जाए जब जिंदगी की

जाते जाते जाना किसी के जीवन को संवारे

पास न हो कोइ तुम्हारे तो करना बस इतना प्यारे

जिते जी कर जाना किसी दुखी के दुख को दुर

जाते जाते मिल जाएंगी तुम्हे खुशियां भरपुर

जीवन में बन जाओगे दुनियां के नूर

 

 

 

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