Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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भगवान की परख

 

॥भगवान॥ ये शब्द हमारे जीवन का एक बहुत ही अमूल्य विश्वास है,और हो भी क्यों ना आखिर हम जब सबसे ज्यादा दुखी होते है तो भगवान ही हमारी सहायता करते है।बाल्याव्सथा से लेकर मरनोपरान्त तक हम एक अमर विश्वास के साथ जीते चलें आते है कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं।भगवान की खोज अक्सर लोगो को दुख के समय मे करते हुए सभी ने देखा होगा क्योकि व्यक्ति सुखाव्सथा मे भगवान की कमी महसूस नही कर पाता है, वो अपने जीवन मे थोङा और थोङा और पाने की ईच्छा मे अपना पूरा समय व्यतित कर देता है।असल मे वो ये भूल जाता है कि ये सुखद समय मुझे जो प्राप्त हुआ है उस सुख का सदुपयोग कैसे करना है, ये जो प्रतिष्ठा मैनै पाई है ये मै आगे बढाने के कार्यरत कैसे रहु, किन विषयों मे मेरा अजिर्त ज्ञान काम आ सकेगा ।ये सुनहरा वक्त का यदि मै सही उपयोग करूँ तो मेरे बुरे समय मे "मेरे अर्जित क्रम ही मेरे काम आने वाले है" ॥जोकि समय एक कालचक्र है आज सुख है तो कल दुख आएगा और आज दुख है तो निश्चित कल सुख आएगा॥
इस 21वी सदी को तो भगवान ने रच दिया पर यहां भगवान बदल रहे समय के साथ अपनी असल पहचान को लोगों के समक्ष रख रख के हार गए।
आज के इस नवीन युग मे भगवान ने हमें कई बार ये संकेत दिए की भगवान की पसन्द क्या है पर हम सब ईन बातों से सदैव ही अनभिज्ञ रहें है।हम सब ये सुनते आए है कि भगवान हमारे अन्दर रहता है और ये बात पूर्णतः सत्य भी है, कैसे ये सवाल आप अपने मन से करें । जवाब आसान है
भगवान हमारी वो साकारात्मक सोच है जिससे हम सदैव दूर रहते है
भगवान हमारी वो शक्ति है जो होती तो हमारे ही अन्दर है पर दिखती नहीं है
भगवान हमारी वो प्रेरणा है जो बार बार हमें अच्छे कामों की ओर प्रेरित करती है
भगवान वो हर एक किया गया अच्छा कार्य है जिसे हम सदैव करना भूल जाते है।
आज यदि हम भगवान की परख सही मायने मे कर ले तो हर तरफ भगवान ही भगवान हमें प्रा प्त हो।
हम जो नित्य भगवान के सामने अपनी ईच्छा जाहिर करते है वो हमारा ही क्रम होता है उसे सिर्फ हमें भगवान के सामने दोहराना होता है , जिसे बार बार दोहराने से हमारे अन्दर सकारात्मकता आती है, वही तो भगवान होता है।स्वयं भगवान ने भी अपने हर जन्म मे अपने किए कार्यो से ही ख्याति प्राप्त की किसी चमत्कार से नहीं।आज लाखों श्रँधालु भगवान की खोज मे लगे रहते है जिसका मिलना आज के इस युग मे केवल अच्छा कार्य करने वालों को ही नसीब होगा । तो फिर देर किस बात की चलिए और प्रयासरत रहिए।

 

 

 

Trishna Rai

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