Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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पापा आ जाओ

 

मै बचपन से ही अपने घर मे सबसे फिट और नटखट थी,पढाई मे कुछ अच्छी और शैतानियो मे भी फटफट थी।
चार बहने और एक भाई से बनी एक प्यारी बगिया थी,मम्मी पापा के चारों ओर बसी मेरी एक सुन्दर सी दुनिया थी।
कभी झगङते कभी प्यार से कैसे वो सारा समय बीता,सपनों से भी सुन्दर, खिलौनों से भरा वो बचपन बीता।
कमी ना कोई की मेरे पापा ने हमें अच्छी परवरिश देने मे,ना चाहा कुछ कभी और पीछे रहे कोई श्रेय लेने में।
सबकुछ ठीक चल रहा था फिर एक दिन अचानक तूफान सा आया, देखते ही देखते एक भूकम्प सा आया।
बिखङ गई सारी खुशियाँ और जम गए दुखो के डेरे, टूट गया ख्वाब जो देखा था कभी पापा ने वो मेरे।
समय के ऐसे फेर ने मेरे पापा को जो तोङा, कभी ना जी सके वो फिर जो ऐसा तकदीर ने जोङा।
छोटी थी बहुत उस वक्त ना समझ सकी उनके दुख को, अक्सर अकेले ही समझाया करते थे वो खुद को।
बस कुछ वक्त ही झेल सके वो मार उस दुख की, चले गए वो पीछे छोङ के यादें वो सुख दुख की।
कहाँ हो मेरे पापा याद तुम आते बहुत ही हो,आके देख ले एक बार तुम बैठे कहाँ पे हो।
अपनी अपनी एक प्यारी सी दुनिया बना ली है हमने, मा बाप का भी औदा अब पा लिया है जो हमने ।
फिर भी एक कमी सी लगती है मुझको अब जीने मे,नहीं मुझको है अब मंजूर इस दुख को पीने मे।
बारी जब मेरी आई अपना फर्ज निभाने को, नही है पास मेरे पापा अब दिल से लगाने को।
आता है जब कभी मुझपे भी काले दुख का वो साया, ढूढंती रहती हूँ हर पल ना तुझको कभी फिर पाया।
कभी वो दिन थे जो हाजिर होती थी खुशियाँ वो झटपट से,तू अपने प्यार से करता था पूरा वो ईच्छाओ के जमघट से।
जगह नही कोई ले सकता है वो आपके ना होने का,गर मिलता मुझे कोई मौका भी आपको खुश रखने का।
रख देती सारी खुशियाँ आपके एक इशारे पे,कर देती सारे गम वो तेरे एक किनारे पे।
होती अगर उस वक्त मै अपनी आयु से कुछ आगे,जाने नहीं देती तुझे जो वक्त से पहले भागे।
लौट आओ मेरे पापा मै तुझ बिन रह नही सकती,मुर के देख ले एक बार करने दे मुझे भक्ति।
करना चाहती हूँ मै तेरे हर ख्वाब को पूरा,
रहे ना अब कोई देखा हुआ तेरा कोई सपना अधूरा ।
दे दे अपनी हिम्मत और आगे बढने का दिलासा, छूँलू आसमान एक दिन है मेरे मन की ये आशा।
वहीं से बैठ के दे दे मुझे अपने प्यार का आसरा,कर लूँगी हर जंग पूरी जो हो सर पे तेरे हाथ का सहारा।
जहाँ कहीं भी हो मेरे पापा रहना हमेशा स्वस्थ, अगले जन्म आँऊगी फिर ना होगा तुझे कोई कष्ट ।
नही जी सकती हूँ मै तुझ बिन है यादों का गहरा छापा, कहाँ हो लौट के आ जाओ मेरे पास मेरे पापा।

 

 

Trishna Rai

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