ईश्वर का रचा संसार कुछ इस तरह ढल रहा है,
पैसों की होङ मे सबका इमान
बिक रहा है
बगंला गाङी बैंक बैलैसं की चाह मे,
डाली जाती है मुश्किले अपनों की ही
राह मे
बस कैसे भी हो कामयाबी मिलनी चाहिए,
रिश्तों का खून क्यों ना हो बस धन दौलत होनी चाहिए
पैसों की चमक ने दिल तोङना आसान कर दिया,
पैसों की अहमियत ने अब दुनिया का दस्तूर बदल दिया
भाई भाई का ना रहा अपनो ने अपनों का प्यार खो डाला,
पैसों ने रिश्तों को मारकर सुख देने का झूठा दिखावा दे डाला
खुशनसिबी से मिलते है वो कुछ गिने चुने रिश्ते,
जिसे बली चढाया जा रहा है महज कुछ
झूठी शान के चलते
आज अपना कोई दुखी है तो सबको अपने आप की फिक्र है,
मदद का हाथ तो छोङो हर जगह उसे बस कुचलने का ही जिक्र है
तरस आता है ये सोच के कि अब हम
पैसों के गुलाम बन कर रह गए है,
इस अजनबी दुनिया मे पैसै खुशियों का पहला हकदार बन कर जम गए है
आज हर कोई कहता क्या करूँ सब ठीक है पर जरा पैसों की कमी है
इससे गुजारा मुश्किल है ऐसे मे कुछ और करने की धुल जमी है
भूल जाता है वो की उसकी बढती इच्छा दुखो का निमंत्रण है
अपने स्वार्थ को त्याग के अपनों का हाथ थामना सबसे बङा धरम है
अपनों को कुचल कर आगे बढने मे मिल रही क्या तुझे कोई खास खुशी है,
आखे खोल के तू देख इन्हीं अपनों मे छुपी कहीं तेरी हँसी है
रब से मिले इस मानव जीवन का अब करले भरपूर उपयोग,
अपना क्या अजनबी भी हो खुश ,हो जाए कुछ ऐसा संजोग
कर लो वादा अपने आप से आगे बढने के इरादे हो मेरे नेक,
खुशहाली दस्तक देगी तुझे एक बार तू आजमा के तो देख।
पूछ अपने आप से क्या तेरी आत्मा भी तुझे यही कह रही है,
जवाब अगर हाँ है तो वक्त अभी और है तुझे बस कुछ देर हो रही है
सुख को ढूढंता तू कुछ इस तरह आगे बढता जाता है,
खुशियाँ रह जाती है पीछे और तू वजह ढूढंता जाता है
कभी ना मिलेगी खुंशिया तुझे अगर ना छोङा ये लोभ का रास्ता
अपनों को लेके साथ चल तुझे है तेरे रब का वास्ता
खून का रिश्ता हो, प्यार का रिश्ता हो चाहे हो वो इन्सानियत का रिश्ता,
अव्वल हो जा तू निभाने मे उसे, पैसों को छोङ बन जा प्यार का फरिश्ता
सफर होगा आसान बिल्कुल, कामयाबी चूमेगी तेरे कदम
रिश्ते निभाना सीख जा, सुनहरा होगा तेरा हर जन्म।
तृष्णा राय
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