Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दिल ये गया दिल वो गया

 

दिल वहाँ गया दिल कहाँ गया
बस जाने यह अहमक जहाँ गया
अरे पुछा जब उसने मुझसे ऐसे
दिल फिसल गया हाय संभल गया

 

कोयल बनकर दिल चहक गया
पपीहा मन के भीतर उतर गया
चहका बैठ मुंडेर पर जाकर ऐसे
दिल किधर गया हाय उधर गया

 

चिमटी बनकर दिल अटक गया
गेसुओं में छिपकर सिमट गया
झटका उसने जुल्फों को कुछ ऐसे
दिल लटक गया हाय चटक गया

 

आतिश बनकर दिल दहक गया
खलल एक दिमाग में पनप गया
हवा जो दी हसरतों को जोर से ऐसे
दिल सुलग गया हाय धधक गया

 

काजल बनकर दिल सज गया
नयनो में सियाही सा रच गया
मूंदी पलकें ज़ालिम ने फिर ऐसे
दिल मचल गया हाय बिखर गया

 

मोम बनकर दिल पिघल गया
जुगनू सा चम् चम् चमक गया
'निर्जन' वो जीवन में आया ऐसे
दिल सुधर गया हाय बिगड़ गया

 

 

 

--- तुषार राज रस्तोगी ---

 

 

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