Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

दोस्ती में मोहब्बत

 

love

 

तेरी दोस्ती गरचे सच नहीं होती
मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई होती

 

कुछ अपने पशेमान हो गए होते
जो बात ज़बां से निकल गई होती

 

ग़द्दारों ने सही किया दूर रहे मुझसे
पास होते तो जान उनकी गई होती

 

'निर्जन' तुझे भी कमज़र्फ़ मान लेता
जो ये दोस्ती पुख़्ता ना हो गई होती

 

मैं ज़िन्दगी के आज़ाबों में फंसा होता
जो दोस्ती में मोहब्बत ना हो गई होती

 

 

गरचे - If
पशेमान - Embarrassed
पुख़्ता - Strong
कमज़र्फ़ - Mean
आज़ाबों - Pain

 

 

 

--- तुषार राज रस्तोगी ---

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ