Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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गुफ़्तगू

 

 

guftgu

 

 

साथ जिसके सजाये थे ख्व़ाब कितने
अब मिलता है वो सिर्फ़ ख़्वाबों में

 

 

आहट से जिसकी मचल उठता था दिल
अब सुनाई देता है वो सिर्फ़ आहटों में

 

 

साथ बिताये थे जिसके हसीन पल कई
अब गुज़रते हैं बन याद वो रातों में

 

 

बातें साथ करते थे जिसके बेहिसाब
अब रह गया है हिसाब सिर्फ यादों में

 

 

राहों से चुने थे जिसकी ख़ार हमने
छोड़ गया है वो 'निर्जन' अब काँटों में

 

 

चाहत में जिसकी हो रही है ये गुफ़्तगू
वो शख्स मिलेगा अब सिर्फ चाहतों में

 

 

--- तुषार राज रस्तोगी ---

 

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