कहते हैं
समय हर ज़ख़्म
को भर
देता है
पर, क्या ?
समय
उस ज़ख़्म के
निशानात को
मिटा भी देता है ?
ऐसा 'निर्जन'
नहीं सुना है
समय
तू अगर
ज़ख़्म भरता है
तो उस पर
एक एहसान
और कर
उसके निशानात
को भी
मिटा दे
तब सब कहेंगे
समय बलवान
ही नहीं
ग़मसार भी है
--- तुषार राज रस्तोगी ---
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