इश्क़ की कलियाँ खिलने लगी हैं
ख़्वाबों की अखियाँ भरने लगी हैं
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी संवरने लगी है?
हसरत के तारे जगमगाने लगे हैं
उमंगों को रौशन सजाने लगे हैं
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी चमकने लगी है?
फूल और परिंदे भी थिरकने लगे हैं
नज़ारे ये दिलकश धड़कने लगे हैं
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी गुनगुनाने लगी है?
आसमां में अरमां कई उड़ने लगे हैं
उम्मीदों के बादल मन भरने लगे हैं
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी मुस्कुराने लगी है?
वादियों की धुन से प्यार होने लगा है
बहता ये नीर आत्मा भिगोने लगा है
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी समझाने लगी है?
बर्फीली हवाएं खूं में बहने लगी हैं
आग नसों में अब दहकने लगी है
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी तड़पने लगी है?
चेहरे की चहक चहचहाने लगी है
उसकी ही कमी कसमसाने लगी है
कोई 'निर्जन' को तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी कुलबुलाने लगी है?
#तुषारराजरस्तोगी
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY