Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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क्या अब ज़िन्दगी कुलबुलाने लगी है?

 

 

longing

 

इश्क़ की कलियाँ खिलने लगी हैं
ख़्वाबों की अखियाँ भरने लगी हैं
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी संवरने लगी है?

 

हसरत के तारे जगमगाने लगे हैं
उमंगों को रौशन सजाने लगे हैं
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी चमकने लगी है?

 

फूल और परिंदे भी थिरकने लगे हैं
नज़ारे ये दिलकश धड़कने लगे हैं
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी गुनगुनाने लगी है?

 

आसमां में अरमां कई उड़ने लगे हैं
उम्मीदों के बादल मन भरने लगे हैं
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी मुस्कुराने लगी है?

 

वादियों की धुन से प्यार होने लगा है
बहता ये नीर आत्मा भिगोने लगा है
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी समझाने लगी है?

 

बर्फीली हवाएं खूं में बहने लगी हैं
आग नसों में अब दहकने लगी है
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी तड़पने लगी है?

 

चेहरे की चहक चहचहाने लगी है
उसकी ही कमी कसमसाने लगी है
कोई 'निर्जन' को तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी कुलबुलाने लगी है?

 

 

 

‪#‎तुषारराजरस्तोगी‬ ‪

 

 

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