सजदे में तेरे झुकता हूँ
कलमा मैं तेरा पढ़ता हूँ
राहों में तेरी फिरता हूँ
ज़िक्र मैं तेरा करता हूँ
यादों में तेरी बसता हूँ
अरमां मैं तेरा रखता हूँ
नाम तेरा सदा जपता हूँ
क़ौल मैं तेरा करता हूँ
ख्वाबों में तेरे चलता हूँ
ग़़जल मैं तुझपर लिखता हूँ
वो कहते हैं,"तू क्या है" 'निर्जन'
उनको मैं पगला लगता हूँ
--- तुषार राज रस्तोगी ---
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