Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मैं पगला लगता हूँ

 

pagla lagta

 

सजदे में तेरे झुकता हूँ
कलमा मैं तेरा पढ़ता हूँ

 

राहों में तेरी फिरता हूँ
ज़िक्र मैं तेरा करता हूँ

 

यादों में तेरी बसता हूँ
अरमां मैं तेरा रखता हूँ

 

नाम तेरा सदा जपता हूँ
क़ौल मैं तेरा करता हूँ

 

ख्वाबों में तेरे चलता हूँ
ग़़जल मैं तुझपर लिखता हूँ

 

वो कहते हैं,"तू क्या है" 'निर्जन'
उनको मैं पगला लगता हूँ

 

 

 

--- तुषार राज रस्तोगी ---

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